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कौन हैं वो अभिनेता जिन्होंने एक सीन से बदल दी फिल्म की कहानी? जानिए जीवन की अनोखी यात्रा!

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जीवन: एक अद्वितीय अभिनेता की कहानी

मुंबई, 23 अक्टूबर। कश्मीरी पंडित जीवन का जन्म 24 अक्टूबर 1915 को कश्मीर घाटी में हुआ था। कौन जानता था कि वह एक दिन भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक बनेंगे। उन्हें न केवल खलनायक के रूप में, बल्कि एक मुनि के किरदार में भी दर्शकों ने खूब सराहा।


जीवन का असली नाम ओंकारनाथ था। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था, जो उन्हें 1930 के दशक में मुंबई ले आया। जब वह मुंबई पहुंचे, तो उनके पास केवल 26 रुपए और अभिनय का जुनून था।


मुंबई में जीवन ने रंगमंच पर छोटे-मोटे काम से अपने करियर की शुरुआत की। 1935 में 'रोमांटिक इंडिया' से उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा। लेकिन असली पहचान उन्हें 1940 के दशक में मिली, जब 'स्टेशन मास्टर' और 'घर की इज्जत' जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। 'धर्मवीर', 'अफसाना', 'नया दौर', और 'मेला' में उनके खलनायक के किरदार आज भी याद किए जाते हैं।


जीवन का असली जादू नारद मुनि के किरदार में देखने को मिला। 1940 से 1980 के बीच, उन्होंने इस भूमिका को 61 बार निभाया, जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। जब भी वह वीणा लिए सफेद धोती में मुस्कुराते हुए पर्दे पर आते, दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते।


दूत से लेकर विलेन तक, जीवन ने साबित किया कि प्रतिभा की कोई सीमा नहीं। 70-80 के दशक में उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया, जहां हर किरदार में उनकी आवाज ने दर्शकों के दिलों को छू लिया।


जीवन का चेहरा उस समय दर्शकों को या तो क्रूर साहूकार की याद दिलाता था या फिर नारद मुनि की। उनके करियर का सबसे बड़ा मोड़ 1960 की एक फिल्म से जुड़ा है।


यह फिल्म थी 'कानून', जिसमें जीवन ने एक अदृश्य विलेन का किरदार निभाया। यह हिंदी सिनेमा की शुरुआती फिल्मों में से एक थी जिसमें कोई गाना नहीं था, और पूरी तरह से इसकी कहानी पर निर्भर थी।


फिल्म का क्लाइमेक्स एक कोर्ट रूम ड्रामा था, जहां दर्शक हत्यारे की पहचान जानने के लिए उत्सुक थे। जीवन का एकमात्र दृश्य कोर्ट रूम में था, जिसमें उन्होंने अपनी चालाकी भरी आंखों और शांत लुक के साथ दर्शकों को प्रभावित किया।


उनका वह खतरनाक हाव-भाव और शातिर अभिव्यक्ति इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए। इस एक सीन ने पूरी फिल्म के सस्पेंस को एक नया आयाम दिया।


फिल्म 'कानून' की सफलता और जीवन के इस एक सीन के प्रभाव ने फिल्म इंडस्ट्री में उनकी अभिनय क्षमता को मान्यता दिलाई।


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